देहरादून।
उत्तराखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक और निर्णायक माना जा रहा है। वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से उन्होंने न केवल प्रशासनिक स्थिरता दी, बल्कि राज्य की राजनीति, कानून व्यवस्था, विकास और सांस्कृतिक पहचान को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास किया। उनके नेतृत्व में उत्तराखंड ने ऐसे फैसले देखे, जिनकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर तक हुई।
राजनीतिक स्थिरता और नेतृत्व
पुष्कर सिंह धामी ऐसे समय मुख्यमंत्री बने जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की राजनीति आम हो चुकी थी। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने पूर्ण कार्यकाल की ओर कदम बढ़ाया और भाजपा के सबसे लंबे समय तक कार्यरत मुख्यमंत्रियों में शामिल हुए। इससे राज्य को एक स्थिर प्रशासन मिला, जिसका सीधा लाभ नीतियों के क्रियान्वयन में देखने को मिला।

समान नागरिक संहिता (UCC): ऐतिहासिक कदम
धामी सरकार की सबसे बड़ी और चर्चित उपलब्धि समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करना रही। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने इस कानून को विधिवत रूप से पारित किया। सरकार का दावा है कि यह कानून सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और न्याय व्यवस्था को मजबूत करेगा। वहीं, इस फैसले ने राज्य को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया।
कठोर कानून और कानून व्यवस्था
धामी सरकार ने कानून व्यवस्था को सख्त करने के लिए कई अहम फैसले लिए।
- नकल विरोधी कानून लागू कर प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया।
- धर्मांतरण विरोधी कानून और दंगा नियंत्रण कानून को सख्ती से लागू किया गया।
- अवैध कब्जों और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर प्रशासनिक सख्ती दिखाई गई।
सरकार का कहना है कि इन कदमों से आम नागरिकों का कानून पर भरोसा बढ़ा है।
युवा, रोजगार और परीक्षाओं में सुधार
राज्य में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती रही है। धामी सरकार ने सरकारी भर्तियों में तेजी लाने और परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया। नकल माफिया पर कार्रवाई के बाद कई भर्तियों को दोबारा आयोजित किया गया।
इसके अलावा, महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण और युवाओं के लिए विभिन्न प्रशिक्षण व सहायता योजनाएं शुरू की गईं।
बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी
धामी सरकार के कार्यकाल में सड़कों, पुलों, सुरंगों और रोपवे परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। चारधाम ऑल वेदर रोड, रोपवे प्रोजेक्ट्स और सीमांत क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के प्रयास हुए। सरकार का मानना है कि इससे न केवल पर्यटन, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था
उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार पर्यटन है। धामी सरकार ने शीतकालीन पर्यटन, साहसिक पर्यटन और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई। सीमांत और पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई गई।
स्वरोजगार और ग्रामीण विकास
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया। सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से हजारों लोगों को छोटे व्यवसाय शुरू करने में सहायता मिली है, जिससे पलायन की समस्या को कम करने की दिशा में कदम बढ़े हैं।
संस्कृति, परंपरा और ‘देवभूमि’ की पहचान
धामी सरकार ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक पहचान को विशेष महत्व दिया। लोक उत्सवों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और धार्मिक आयोजनों को सरकारी संरक्षण मिला। सरकार बार-बार यह दोहराती रही कि विकास के साथ-साथ देवभूमि की सांस्कृतिक आत्मा को सुरक्षित रखना उसकी प्राथमिकता है।
आलोचनाएं और चुनौतियां
हालांकि, धामी सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। विपक्ष ने बेरोजगारी, महंगाई, पर्यावरणीय संतुलन और कुछ प्रशासनिक फैसलों पर सवाल उठाए। चारधाम क्षेत्र में बढ़ते दबाव, शहरी प्रदूषण और पलायन जैसी समस्याएं अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।
